Sanskriti University

आओ पढ़ें, सफलता की उड़ान भरें ।

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संस्कृति विश्वविद्यालयः जहां दी जाती है विश्वस्तरीय कौशल-परक शिक्षा ।  

परीक्षा परिणाम घोषित होते ही अभिभावकों के मन में अच्छे शिक्षण संस्थान को लेकर चिन्तन-मनन की स्थिति निर्मित हो जाती है। अभिभावकों की चिन्ता वाजिब भी है आखिर उच्चतर शिक्षा ही वह पड़ाव है जहां से हर युवा मन सफलता की ऊंची उड़ान भरना चाहता है।प्रत्येक युवा को शिक्षा की वास्तविक भावना का अहसास कराकर उसे आगे बढ़ाने का प्रयास सम्भवतः हर शिक्षण संस्थान करता है लेकिन इस मामले में हर संस्थान सफल नहीं होता। शिक्षा मनुष्य की गरिमा, प्रतिष्ठा और आत्म-सम्मान को बढ़ाती है। किसी राष्ट्र की प्रगति और विकास में शिक्षा द्वारा निभाई जाने वाली केन्द्रीय भूमिका को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। कोई भी शिक्षण संस्थान बैंक की तरह है, जहां समाज को अपने विकास के लिए धन संचित करने की आवश्यकता होती है। ज्ञान का सही अर्थ शिक्षा या अनुभव के माध्यम से तथ्य, सूचना और कौशल प्राप्त करना है। ज्ञान किसी विषय के सैद्धांतिक या व्यावहारिक समझ का गठन करता है। जीवन में सफलता प्राप्त करने और कुछ अलग करने के लिए कौशल-परक शिक्षा का बहुत महत्व है। देखा जाए तो शिक्षा हर शिक्षण संस्थान दे रहा है लेकिन युवाओं को कौशल-परक शिक्षा देने वाले संस्थान बहुत कम हैं। युवाओं को कौशल-परक शिक्षा प्रदान करने की खातिर ही दो साल पहले ब्रज मण्डल में संस्कृति विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया। शिक्षा ही जीवन में बेहतर सम्भावनाओं और अवसरों के लिए द्वार खोलती है इसी बात को ध्यान में रखते हुए यहां छात्र-छात्राओं को चुनौतियों से सामना करने के साथ ही आत्मनिर्भरता का पाठ पढ़ाया जाता है।

शिक्षा एक व्यक्ति को अपनी क्षमता का पता लगाने में मदद करती है। जो बदले में मजबूत और एकजुट समाज को बढ़ावा देती है। परिवार, समुदाय, राज्य और देश को विकास की राह पर तभी ले जाया जा सकता है, जब उसका हर नागरिक शिक्षित हो। बेहतर शिक्षा जीवन में आगे बढ़ने और सफलता प्राप्त करने के लिए बहुत आवश्यक है। शिक्षा आत्मविश्वास बढ़ाने के साथ ही व्यक्तित्व निर्माण में मदद करती है। शिक्षा तंत्र के तीनों भागों (प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा और उच्च माध्यमिक शिक्षा) का अपना महत्व है। प्राथमिक शिक्षा विद्यार्थियों को आधार प्रदान करने के साथ ही जीवनभर मदद करती है तो माध्यमिक शिक्षा आगे की पढ़ाई का रास्ता है और उच्च माध्यमिक शिक्षा पूरे जीवन का मार्गदर्शन करती है। शिक्षा ही यह निर्धारित करती है कि हम भविष्य में किस प्रकार के व्यक्ति बनेंगे। जीवन में सफलता बहुत जरूरी है लेकिन परिश्रम ही वह रास्ता है जिस पर चलकर सफलता मिलती है। किसी भी क्षेत्र में सफलता इस बात पर भी निर्भर करती है कि आपमें इच्छाशक्ति कितनी है। शिक्षा ही इंसान के जीवन में हलचल मचाती है। शिक्षा का उद्देश्य सिर्फ कागजी दस्तावेज हासिल करना नहीं होना चाहिए। आधुनिक तकनीकी संसार में राष्ट्र की प्रगति और विकास सभी नागरिकों के शिक्षा के अधिकार की उपलब्धता पर ही निर्भर करता है। संस्कृति विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक कौशल बढ़ाने के साथ ही बुनियादी शिक्षा पर जोर दिया जाता है ताकि वह जीवन के किसी भी क्षेत्र में असफल साबित न हो। यहां अच्छे माहौल और वातावरण में बालिका शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। संस्थान का मानना है कि एक बालिका के शिक्षित होने से ही पूरा परिवार शिक्षित होता है। समाज के समग्र विकास में महिलाएं बराबर सहभागी हों यही संस्कृति विश्वविद्यालय का मुख्य ध्येय है। मौजूदा समय में असंख्य स्नातक डिग्रीधारकों की बेरोजगारी को देखते हुए संस्कृति विश्वविद्यालय

एमएसएमई के साथ सेण्टर आफ एक्सीलेंस खोलने जा रहा है ताकि छात्र-छात्राओं को व्यावसायिक प्रशिक्षण देकर स्वावलम्बी बनाया जा सके। संस्कृति विश्वविद्यालय में प्रवेश लेकर हर युवा उच्च तालीम के साथ ही व्यावसायिक प्रशिक्षण के जरिए अपना करियर संवारता है। संस्कृति विश्वविद्यालय का प्रयास है कि यहां से शिक्षा पूरी करने के बाद छात्र-छात्राओं के एक हाथ में डिग्री तो दूसरे हाथ में जाब हो। तो देर किस बात की संस्कृति विश्वविद्यालय में पढ़ें और सफलता की ऊंची उड़ान भरें।

शिक्षण-प्रशिक्षण को समर्पित शिक्षा

जो शिक्षा समय के साथ-साथ परिवर्तित न हो वह बोझिल, बेकार और अनुपयुक्त हो जाती है। साधारण शब्दों में कहें तो सही शिक्षा वह है जो व्यक्ति को हर परिस्थिति के लिए तैयार करे, उसे संकीर्ण दायरे से ऊपर उठाने के साथ ही उसमें सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास करे। किसी भी राष्ट्र अथवा समाज में शिक्षा सामाजिक नियंत्रण, व्यक्तित्व निर्माण तथा सामाजिक व आर्थिक प्रगति का मापदंड होती है। भारत की वर्तमान शिक्षा प्रणाली ब्रिटिश प्रतिरूप पर आधारित है जिसे सन् 1835 में लागू किया गया। संस्कृति विश्वविद्यालय उन्नत शिक्षण-प्रशिक्षण को समर्पित संस्थान है। यहां भारत के सामाजिक, राजनैतिक व आर्थिक परिदृश्य में बदलाव को देखते हुए शिक्षा प्रणाली की पृष्ठभूमि, उद्‌देश्य, चुनौतियों तथा संकट पर गहन मंथन कर पाठ्य-पुस्तकें तैयार कराकर शिक्षा प्रदान की जाती है। यहां छात्र-छात्राओं को शारीरिक, मानसिक व बौद्धिक दृष्टि से इतना सुदृढ़ बनाया जाता है कि वह हर परिस्थिति का डटकर मुकाबला कर सके।

शांत वातावरण और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर

संस्कृति विश्वविद्यालय का शांत वातावरण और बेहतरीन इंफ्रास्ट्रक्चर इतना मनभावन है कि जो एक बार देख लेता है, उसका मन कुछ पल, कुछ घण्टे बिताने को अधीर सा हो उठता है। यहां की शानदार कैंटीन, प्रॉपर वेंटिलेशन के साथ बने कमरे विश्वविद्यालय की भव्यता को चार चांद लगाते हैं। यहां ऑटोमेशन व हजारों ज्ञानवर्धक पुस्तको से युक्त अत्याधुनिक लाइब्रेरी है। मथुरा शहर से दूर एकांत और सुरम्य वातावरण में पढ़ने का अपना अलग ही आनंद है। संस्कृति विश्वविद्यालय ने बहुत ही अल्प समय में युवाओं के बीच अपनी एक अलग पहचान बनाई है। यहां पोस्ट ग्रेजुएट, अंडर ग्रेजुएट और ऑनर्स कोर्स के अलावा पीजी डिप्लोमा कोर्स भी संचालित हो रहे हैं। यूजीसी से मान्यता प्राप्त यह यूनिवर्सिटी अपने टीमवर्क के लिए भी जानी-पहचानी जाती है। यहां के सर्वसुविधायुक्त हॉस्टल और कैंटीन बेहद भव्य हैं। इस कैंटीन में छात्र-छात्राओं के बैठने के पर्याप्त इंतजाम हैं। यहां छात्र-छात्राओं के लिए इंडोर गेम के साथ ही आउटडोर गेम की भी शानदार व्यवस्थाएं हैं।

बेहतरीन कम्प्यूटर लैब

दिन-प्रतिदिन कम्प्यूटर के बढ़ते उपयोग को देखते हुए संस्कृति विश्वविद्यालय में बेहतरीन कम्प्यूटर लैबों की व्यवस्था है। इन कम्प्यूटर लैबों से न केवल शिक्षा प्रणाली में काफी सुधार हुआ है बल्कि इससे विद्यार्थियों के समय की बचत के साथ-साथ कार्य बोझ भी कम हुआ और बौद्धिक क्षमता में आशातीत बढ़ोत्तरी हुई है। कम्प्यूटरों के प्रयोग से छात्र-छात्राओं का अपने विषय से संबंधित ज्ञान प्रगाढ़ हुआ है। आधुनिक कार्यप्रणाली के दौर में छात्र-छात्राओं को रोजगार प्राप्ति के पश्चात अपने कार्यालय में कार्य का प्रबंध भी कम्प्यूटर के माध्यम से करना पड़ता है जिसके लिए कम्प्यूटर विषय का अध्ययन जरूरी है अर्थात् इससे शिक्षा के क्षेत्र में कम्प्यूटर का महत्व और अधिक बढ़ा है। कम्प्यूटर के माध्यम से प्रत्येक विद्यार्थी अपनी जरूरी शिक्षा सामग्री, अपने विषय से संबंधित पुस्तकों के साथ-साथ विभिन्न पुस्तकें आसानी से पढ़कर अपने ज्ञान में इजाफा करते हैं। इतना ही नहीं एक विद्यार्थी दूसरे विद्यार्थी से सम्पर्क में रहकर अपनी शिक्षा सामग्री का आदान-प्रदान कम समय में आसानी से कर लेता है। कम्प्यूटर शिक्षा द्वारा यहां के छात्र-छात्राएं कम समय और मेहनत से अपने विषय या शोध कार्य में बेहतर परिणाम प्राप्त कर रहे हैं।

वैश्विक स्तर की शिक्षा

आज किसी भी देश की सम्पन्नता का स्तर इस बात से आंका जा रहा है कि वहाँ की शिक्षा का स्तर किस तरह का है। आजकल वैश्विक अर्थव्यवस्था, विकास, धन उत्पत्ति और सम्पन्नता की संचालन शक्ति सिर्फ शिक्षा के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। इसी बात को ध्यान में रखते हुए संस्कृति विश्वविद्यालय सूचना तकनीक और बायोटेक्नोलॉजी के क्षेत्र में निरंतर सुधार कर रहा है। संस्थान का उद्देश्य दुनिया भर में विज्ञान और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में हो रहे शोध से छात्र-छात्राओं को अवगत कराना है। इस समय भारत की लगभग आधी आबादी 25 साल से कम उम्र की है। इनमें से 12 करोड़ लोगों की उम्र 18 से 23 साल के बीच की है। संस्थान का मानना है कि अगर इन्हें ज्ञान और हुनर से लैस कर दिया जाए तो यह न केवल अपने सपने साकार कर सकते हैं बल्कि भारत को भी एक वैश्विक शक्ति बना सकते हैं।

शत-प्रतिशत प्लेसमेंट

संस्कृति विश्वविद्यालय प्रबंधन का उद्देश्य छात्र-छात्राओं को किताबी ज्ञान में दक्ष करना ही नहीं बल्कि उनमें सांस्कारिक शिक्षा के बीज डालना भी है ताकि छात्र-छात्राएं अपने साथ ही देश की भलाई के बारे में भी सोचें। यहां प्रशिक्षण और प्लेसमेंट सेल को सक्षम संकाय और स्टाफ के सदस्यों द्वारा बनाया गया है, यही वजह है कि यहां अध्ययन करने वाले छात्र-छात्राओं को शिक्षा पूर्ण करने से पूर्व ही ख्यातिलब्ध औद्योगिक संस्थानों में जाब के अवसर मिल रहे हैं। यहां न सिर्फ भारतीय कम्पनियां बल्कि विदेशी कम्पनियां भी लगातार प्लेसमेंट को आती रहती हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय ने सत्र 2017 में शत-प्रतिशत जाब प्लेसमेंट का कीर्तिमान बनाकर एक नई इबारत लिखी है।

शैक्षणिक भ्रमण

संस्कृति विश्वविद्यालय में छात्र-छात्राओं को न केवल किताबी ज्ञान से रूबरू कराया जाता है बल्कि इनकी मेधा को निखारने के लिए शैक्षणिक भ्रमण के अवसर भी मुहैया कराये जाते हैं। उच्च तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं को उद्योग एवं रोजगार की जरूरतों के बीच तालमेल सुनिश्चित करने के लिए शैक्षणिक और औद्योगिक भ्रमण का विशेष महत्व है। शैक्षणिक भ्रमण से न केवल नीरसता दूर होती है बल्कि कुछ नया सीखने को भी मिलता है।

सर्वव्यापी संस्कृति का आईना

संस्कृति विश्वविद्यालय आज सर्वव्यापी संस्कृति का आईना बन चुका है। यह शैक्षणिक संस्थान भारत ही नहीं सार्क देशों के बीच भी अपनी पहचान बना चुका है। यहां नेपाल, भूटान, बांग्लादेश के साथ ही अफ्रीकी देशों के छात्र-छात्राएं लगातार अध्ययन को आ रहे हैं। तीज-त्योहारों के समय यहां की छटा निराली हो जाती है। विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियां जब यहां परवान चढ़ती हैं तो यकीन ही नहीं होता कि हम ब्रज की धरा पर निवास कर रहे हैं।

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