संस्कृति यूनिवर्सिटी में लाइफ स्किल्स सुधारने पर दिया जाता है विशेष ध्यान ।
सफलता के लिए सॉफ्ट स्किल्स का विशेष महत्व
शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है जिससे विश्व में सकारात्मक बदलाव आ सकता है लेकिन यह तभी सम्भव है जब युवाओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास पर ध्यान दिया जाए। कोई भी युवा सिर्फ किताबी ज्ञान से सफलता हासिल नहीं कर सकता इसके लिए जरूरी है कि उसके दूसरे स्किल्स में भी बदलाव लाए जाएं। संस्कृति यूनिवर्सिटी ने इसी बात को ध्यान में रखते हुए स्कूल आफ लाइफ स्किल्स संकाय को प्रमुखता दी है। संस्कृति यूनिवर्सिटी की लाइफ स्किल्स ट्रेनिंग का ही कमाल है कि यहां का हर विद्यार्थी किसी भी प्रतिस्पर्धा में सफलता के नए आयाम स्थापित करता है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी में पठन-पाठन के साथ ही लाइफ स्किल ट्रेनिंग में छात्र-छात्राओं के पर्सनालिटी डेवलपमेंट, इंग्लिश स्पीकिंग, मॉरल वैल्यू, प्रोफेशनल स्किल्स तथा निर्णयात्मक क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जाता है। लाइफ स्किल्स सुधारने की जहां तक बात है, इसे किताबी ज्ञान से नहीं सुधारा जा सकता। आज के दौर में सफलता के मायने बदल रहे हैं, कुछ समय पहले तक टेक्निकल नॉलेज सफलता के लिए सबसे अहम था, लेकिन आज सॉफ्ट स्किल्स की करियर बनाने और बिगाड़ने में काफी अहम भूमिका होती है। इसलिए छात्र हो या छात्रा, सभी के लिए करियर में आगे बढ़ने के लिए सॉफ्ट स्किल का बेहतर होना जरूरी है। विशेषकर कॉर्पोरेट के क्षेत्र में सफलता के लिए सॉफ्ट स्किल्स का विशेष महत्व है। संस्कृति यूनिवर्सिटी ने छात्र-छात्राओं के सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास को ध्यान में रखते हुए ही स्कूल आफ लाइफ स्किल्स संकाय को प्रमुखता दी है।
संस्कृति यूनिवर्सिटी में स्कूल आफ लाइफ स्किल्स संकाय के विभागाध्यक्ष गेविन एलेकजेंडर पाल, असिस्टेंट प्रोफेसर सचिन शर्मा तथा असिस्टेंट प्रोफेसर नवनीत बल्लभ गौतम की देखरेख में छात्र-छात्राओं को नियमित रूप से लाइफ स्किल्स की ट्रेनिंग प्रदान की जाती है। विभागाध्यक्ष श्री पाल का कहना है कि आज के प्रोफेशनल युग में सिर्फ किताबी ज्ञान ही पर्याप्त नहीं है। आज हर क्षेत्र में कम्युनिकेशन एण्ड इंटर पर्सनल स्किल, टीम स्किल, निगोशिएसन स्किल, टाइम मैनेजमेंट स्किल, बिजनेस मैनेजमेंट, सोशल ग्रेस का अपना महत्व है। संस्कृति यूनिवर्सिटी में शिक्षा के साथ ही छात्र-छात्राओं की स्किल्स को सुधारने का प्रयास किया जाता है, इन्हीं प्रयासों के ही चलते यहां के छात्र-छात्राएं हर क्षेत्र में निरंतर सफलता हासिल कर रहे हैं।
कुलाधिपति सचिन गुप्ता का कहना है कि छात्र-छात्राओं का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हो यही संस्कृति यूनिवर्सिटी का मूल उद्देश्य है। स्किल्स से ही यंगस्टर्स के करियर की नींव तैयार होती है। स्किल्स के अभाव में छात्र-छात्राओं के प्रोफेशनल ग्रोथ में जहां रुकावट पैदा होती है वहीं वह अच्छे से कम्युनिकेट भी नहीं कर पाते। श्री गुप्ता का कहना है कि यदि यंगस्टर्स की सॉफ्ट स्किल्स बेहतर हो तो वर्क प्लेस हो या घर का माहौल उसमें आरम्भ से ही सकारात्मक बदलाव महसूस किया जाता है। श्री गुप्ता का कहना है कि जिस छात्र-छात्रा की लाइफ स्किल सही होगी, वही सफलता की तरफ कदम बढ़ा सकता है।