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विद्यार्थी जीवन की परेशानियों से ऐसे निपटें

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 विद्यार्थी जीवन में कई बार हम अनावश्यक परेशानियों की गिरफ्त में आ जाते हैं। हमारी समझ में ही नहीं आता कि परेशानियों से कैसे निपटा जाए। देखा जाए तो कुछ हद तक ये समस्याएं वास्तव में होती हैं जबकि कई बार छात्र इनके होने का भ्रम पाल लेते हैं। परिणामतः हम तनाव में आ जाते हैं और इस तनाव के चलते हम कई बार अपने लक्ष्य से भटक जाते हैं। चूंकि हर छात्र का धैर्य एक सा नहीं होता लिहाजा अधिकांश छात्र-छात्राओं का मन भटकने अथवा टूटने लगता है। उनमें कई तरह की समस्याएं खासकर एग्जाम फीवर स्ट्रेस व एंग्जाइटी, सिरदर्द या माइग्रेन की शिकायत, नींद गायब हो जाना, भूख न लगना, स्वभाव में चिढ़चिढ़ापन, आंखों व पेट की परेशानी आदि सामने आ जाती हैं। कभी-कभी ऐसा भी होता है कि पैरेंट्स इन समस्याओं को बच्चे का बहाना समझने लगते हैं। सम्भव है कुछ छात्र ऐसा जान-बूझकर करते हों, पर ये समस्याएं हकीकत में होती भी हैं, इसलिए इन्हें नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। यदि आप तनाव का शिकार हैं तो इसका समाधान भी आप स्वयं ही हो सकते हैं। किसी भी परेशानी का समाधान मुश्किल नहीं होता बशर्ते आप स्वयं सोचें कि आपसे गल्ती कहां हुई है।

नकारात्मक भाव से बचें

हर परेशानी नकारात्मक भाव के चलते जन्म लेती है लिहाजा सबसे पहले हम विचार करें कि इसकी वजह क्या है। आत्मावलोकन से आपको यह पता भी चलेगा कि आखिर आपसे गल्ती कहां हुई है। मन में नकारात्मक भाव पैदा होना जहां आम बात है वहीं इससे आसानी से बचा भी जा सकता है। किसी परेशानी से बचने के लिए सबसे पहले आपको अपने मन में सार्थक विचार लाने चाहिए। बेहतर होगा ऐसे नाजुक समय में अपने सुखद पलों को याद करें।

अपने आपको आराम दें

जब भी आप किसी अवसाद का शिकार हो गए हों ऐसे समय में सबसे पहले अपने आपको कुछ समय के लिए आराम दें। जो भी कार्य प्राथमिकता में हों उन्हें कुछ समय के लिए टाल दें। जब आपके मन में किसी प्रकार का विकार होगा ऐसे में आपको सफलता की बजाय निराशा हाथ लगेगी। आप इस बात का ध्यान रखें कि असफलता यह सिद्ध करती है कि सफलता का प्रयास पूरे मनोयोग से नहीं किया गया लिहाजा कोई भी काम पूरे मनोयोग से ही करें।

सफलता के लिए क्रोध से बचें   

वेक्सेशन क्रोध को जन्म देता है और क्रोध से मानसिक विकार की स्थिति निर्मित होती है लिहाजा कभी भी कोई कार्य क्रोध की अवस्था में कतई न करें। जहां तक हो सके हमें हमेशा नकारात्मक भाव से बचना चाहिए। क्रोध में किया गया कोई भी कार्य पूर्णता प्राप्त नहीं कर सकता। सच कहें तो नकारात्मक भाव अच्छे प्रयासों का दुश्मन है, लिहाजा हमेशा गुस्से पर न केवल नियंत्रण रखें बल्कि इस प्रवृत्ति को मन पर हावी होने से रोकें।

हमेशा सकारात्मक सोचें

सफलता के लिए सकारात्मक विचार होना निहायत जरूरी है। जब आप सकारात्मक सोचने लगेंगे तो आपके मन से नकारात्मक बातें अपने आप दूर होने लगेंगी। सकारात्मक विचारों में ही सफलता का मूलमंत्र समाहित होता है। इस बात का ध्यान रखें कि कोई भी कार्य असम्भव नहीं होता। जब हम किसी काम को कठिन मान लेते हैं ऐसे समय में आसान लक्ष्य भी दुरूह नजर आने लगता है। आप हर मुश्किल कार्य कर सकते हैं, ऐसा विचार मन में लाते ही आपके कदम सफलता की राह चल निकलेंगे। हम कह सकते हैं कि नकारात्मक भावों का परित्याग कर मन में सकारात्मक सोच लाने से कठिन से कठिन लक्ष्य सहजता से हासिल किया जा सकता है।

आत्मविश्वास को कभी डिगने न दें

आत्मविश्वास सफलता का मूलमंत्र है लिहाजा इस कभी डिगने न दें। आत्मविश्वास का सीधा असर हमारी शारीरिक व मानसिक अवस्था पर पड़ता है। असफलता से घबराने की बजाय उनका डटकर सामना करें। आपमें हर कार्य करने की क्षमता है ऐसा सोचने मात्र से ही आप अपनी खोई हुई लय एवं एकाग्रता पुनः हासिल कर सकते हैं। जरूरत है अपना आत्मविश्वास बनाए रखने की।

सफलता की गारंटी है सकारात्मक सोच

हम जैसा सोचते हैं वैसा ही प्राप्त करते हैं। नकारात्मक सोच जहां हमें निराशावादिता और नाकामी की ओर ले जाती है वहीं सकारात्मक विचार हमें सकारात्मकता और सफलता की ओर अग्रसर करते हैं। हमारी सोच हमारी कार्यक्षमता को प्रभावित करती है। हम जैसा सोचते हैं, वैसा ही कार्य करते हैं। यदि हम दिन के 24 घंटों में से दस घंटे नकारात्मक बातें करते हैं तो धीरे-धीरे हमारी सोच भी नकारात्मक होने लगती है फिर हमें दुनिया के हर इंसान में बुराई नजर आने लगती है। यदि हम ये ठान लें कि दिनभर हम जो भी सोचेंगे, अच्छा ही सोचेंगे तो निश्चित ही हमारा दिन अच्छा जाएगा। इस प्रयोग को हम अपने जीवन का हिस्सा भी बना सकते हैं।

बुरी संगति से बचें

कई बार हम कुछ ऐसे लोगों की संगति में फंस जाते हैं जो हमेशा अपने दुखों का ही रोना लेकर बैठ जाते हैं। जीवन में उन्हें खुश रहना तो आता ही नहीं है। आपके लिए अच्छा होगा कि आप ऐसे लोगों से दूर ही रहें क्योंकि ऐसे लोगों की संगति से आपका भला होने की बजाय नुकसान होगा। कई बार व्यक्ति का काम इतना तनावपूर्ण रहता है कि वह क्रोध करता है तथा उसके दिमाग में नकारात्मक विचार आने लगते हैं। यदि आपके साथ भी ऐसा होता है तो आप स्वयं को किसी ऐसे कार्य में लगाइए जिससे आपको मानसिक शांति मिले। आप चाहें तो मधुर संगीत, मौज-मस्ती, अच्छे साहित्य के पठन-पाठन आदि के माध्यम से अपने तनाव को दूर कर सकते हैं।

व्यर्थ की बहस से बचें

जीवन में सफलता पाने के लिए तथा सकारात्मक सोच के लिए व्यक्ति को व्यर्थ की बहसबाजी से बचना चाहिए। ‍फिजूल बातों पर बहस करने से आपका तनाव बढ़ता है। सकारात्मक सोच के लिए अपनी जीवनशैली में परिवर्तन करना आपके लिए नितांत आवश्यक है। यदि आप हर रोज अपने जीवन में कोई सकारात्मक बदलाव लाएंगे तो निस्संदेह ही आप अच्छा सोचेंगे व अच्छा करेंगे। जब भी आप निराश हों तो आपको अपने ग्रुप के कुछ ऐसे लोगों से दोस्ती करना चाहिए जो हँसमुख व ऊर्जावान हों। इनके सम्पर्क में रहने से आपको एक नई प्रेरणा मिलेगी और निराशा आपके जीवन से छू-मंतर हो जाएगी।

सोच का दायरा बढ़ाइये

जो व्यक्ति अपनी सोच को सीमित रखता है, वह अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाता है। हमेशा आपको अपनी सोच का दायरा बड़ा रखना चाहिए। आप जिस चीज के बारे में सोचेंगे वही आपको मिलेगी। यदि आप किसी चीज के बारे में सोचते ही नहीं हैं तो आप उसे पा ही नहीं सकते। सकारात्मक सोच की शक्ति अकल्पनीय है। एक सकारात्मक व्यक्ति ही किसी भी बाधा और कठिनाई को आसानी से पार कर सकता है। एक सकारात्मक व्यक्ति तनाव को आसानी से और अधिक प्रभावी ढंग से संभाल सकता है। सकारात्मक व्यक्ति किसी समस्या के सामने असहाय होने की बजाय उसके निदान पर अपना ध्यान केन्द्रित करता है। जो लोग सकारात्मक सोच रखते हैं वे हमेशा स्वस्थ और प्रगतिशील होते हैं। जो व्यक्ति सकारात्मक सोचता वह औरों की अपेक्षा अधिक खुश रहता है। सकारात्मक व्यक्ति न केवल  आत्मविश्वासी होता है बल्कि सफलता उसके कदम चूमती है। सकारात्मक विचारों से ही आप अपने जीवन को जीने और स्वाभाविक रूप से अपने आप को प्यार करना सीख पाएंगे।

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