फोरेंसिक साइंस में रोमांच और करियर भी।
विज्ञान जिस तेजी से निरंतर प्रगति पथ पर आगे बढ़ रहा है उससे सामान्य मानवीय प्रक्रिया के तहत लगाए जाने वाले अनुमान भी अब इसकी जड़ में आ गए हैं। हम कह सकते हैं कि विज्ञान के विस्तृत होते दायरे में अब दूध का दूध और पानी का पानी अलग करना कहीं ज्यादा आसान हो गया है। इसके लिए जिस तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है उसे क्रिमिनोलॉजी कहते हैं। इसके तहत फोरेंसिक जांच की जाती है जिसके फलस्वरूप इसमें संदेह की लेशमात्र भी गुंजाइश नहीं रहती। फोरेंसिक साइंस विज्ञान की ही एक शाखा है जिसमें जीव विज्ञान के अतिरिक्त भौतिक, रसायन, आडोप्टोलॉजी और एण्टमोलॉजी के सिद्धांतों का उपयोग चीजों को विश्लेषित करने में किया जाता है। फोरेंसिक साइंस का क्षेत्र जहां रोमांच से भरा हुआ है वहीं यह युवाओं के करियर को नया आयाम देने में भी सर्वश्रेष्ठ है। आपराधिक घटनाओं में वृद्धि को देखते हुए आजकल फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की डिमांड काफी बढ़ गई है। विज्ञान विषय से इंटर उत्तीर्ण छात्र-छात्राएं मथुरा जिले में संचालित संस्कृति यूनिवर्सिटी से बीएससी (आनर्स) फोरेंसिक साइंस में दाखिला लेकर अपना करियर संवार सकते हैं।
आजकल आपराधिक घटनाओं में लगातार होते इजाफे को देखते हुए फोरेंसिक एक्सपर्ट्स की मांग लगातार बढ़ रही है। अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो, वह अपराध करने के बाद कोई न कोई सुराग जरूर छोड़ जाता है। सूक्ष्म से सूक्ष्म साक्ष्य के सहारे एक फोरेंसिक एक्सपर्ट अपराधियों को बेनकाब करने में सफल हो जाता है। फोरेंसिक एक्सपर्ट विज्ञान के सिद्धांतों और नई तकनीकों का उपयोग करते हुए ही क्राइम का इंवेस्टिगेशन करते हैं। इसके लिए एक्सपर्ट ब्लड, बॉडी फ्लूड, हेयर, फिंगर प्रिंट, फुट प्रिंट, टिशू आदि की मदद लेते हैं। आमतौर पर फोरेंसिक एक्सपर्ट पुलिस के साथ मिलकर ही काम करते हैं।
एक फोरेंसिक एक्सपर्ट के लिए शासकीय और अशासकीय क्षेत्रों में नौकरी की भरपूर सम्भावनाओं को देखते हुए तथा युवाओं के बढ़ते रुझान और करियर की सम्भावनाओं के मद्देनजर संस्कृति यूनिवर्सिटी ने बीएससी (आनर्स) फोरेंसिक साइंस विषय को अपने पाठ्यक्रम में समाहित किया है। आज करीब-करीब हर राज्य में फोरेंसिक लैब हैं। केवल यही नहीं, रीजनल और मोबाइल लैब्स की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही हैं। वैसे, कुछ लैबों में फोरेंसिक से जुडे स्टूडेंट्स को कॉन्ट्रेक्ट बेसिस पर भी रखा जाने लगा है। ऐसे में इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए रोजगार की फिलहाल कोई समस्या नहीं है। खास बात यह है कि इन दिनों इस प्रोफेशन के प्रति युवाओं में बेहद क्रेज भी देखा जा रहा है।
प्रवेश के लिए अर्हताएं-
फोरेंसिक साइंस में प्रवेश के लिए छात्र-छात्राओं का साइंस बैकग्राउंड का होना जरूरी है। यदि आप साइंस सब्जेक्ट से 10+2 कर चुके हैं, तो फोरेंसिक साइंस में ग्रेजुएशन कर सकते हैं। ग्रेजुएशन के बाद फोरेंसिक साइंस और क्रिमिनोलॉजी में डिप्लोमा कोर्स में भी एंट्री ले सकते हैं। फोरेंसिक साइंस से मास्टर डिग्री कोर्स करने के लिए स्नातक में फिजिक्स, केमिस्ट्री, जूलोजी, बॉटनी, बायोकेमिस्ट्री, माइक्रोबायोलॉजी, बी.फार्मा, बीडीएस और अप्लायड साइंस में से किसी एक विषय में उत्तीर्ण होना जरूरी है।
कहां मिलेगी नौकरी-
फोरेंसिक एक्सपर्ट के लिए शासकीय और अशासकीय संस्थानों में जॉब की अच्छी सम्भावनाएं हैं। यदि शासकीय एजेंसी की बात करें, तो फोरेंसिक साइंटिस्ट के लिए इंटेलीजेंस ब्यूरो (आईबी), सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इंवेस्टिगेशन (सीबीआई), स्टेट पुलिस फोर्स की क्राइम सेल, स्टेट फोरेंसिक लैब तथा प्राइवेट डिटेक्टिव एजेंसी आदि में काम करने का भरपूर मौका होता है। इन क्षेत्रों के अलावा एक फोरेंसिक एक्सपर्ट फोरेंसिक टीचर के रूप में भी अपना करियर संवार सकता है।
फोरेंसिक साइंस में स्पेशलाइज्ड फील्ड–
इस क्षेत्र में आप क्राइम सीन इंवेस्टिगेशन, फोरेंसिक पैथोलॉजी/मेडिसिन, फोरेंसिक एंथ्रोपालॉजी, फोरेंसिक डेंटिस्ट्री, क्लीनिकल फोरेंसिक मेडिसिन, फोरेंसिक एंटोमोलॉजी, फोरेंसिक सेरालॉजी, फोरेंसिक केमिस्ट, फोरेंसिक इंजीनियर, फोरेंसिक आर्टिस्ट व स्कल्पचर, टॉक्सिकोलॉजी आदि में विशेषज्ञता हासिल कर सकते हैं।