Sanskriti University

ब्रज की तकदीर और तस्वीर बदलने का प्रयास सेण्टर आफ एक्सीलेंस से निखरेगा युवाओं का कौशल।

Posted on in Sanskriti University

भारत युवाओं का देश है। भारतीय युवा शक्ति की तरफ दुनिया की नजर है। यह युवा शक्ति देश के विकास में अपना योगदान दे सकती है, पर कैसे। इस प्रश्न का उत्तर युवाओं के कौशल विकास पर निर्भर करता है, इस बात को संस्कृति विश्वविद्यालय प्रबंधन ने संजीदगी से महसूस किया है। प्रबंधन का मानना है कि तकनीकी उन्नति वहीं हो सकती है जहां विज्ञान में उच्च कौशल और पेशेवर वैज्ञानिकों के द्वारा नए आविष्कार होते हैं। हम यह कह सकते हैं कि तकनीकी, विज्ञान और विकास में एक-दूसरे की समान भागीदारी है। विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में विकास कंधे से कंधा मिलाकर चलने से ही हो सकता है। संस्कृति विश्वविद्यालय प्रबंधन ने ब्रज के युवाओं की तकदीर और तस्वीर बदलने के लिए  सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) के साथ मिलकर सेण्टर आफ एक्सीलेंस खोला है। इस सेण्टर से प्रशिक्षण हासिल कर मथुरा जनपद के छात्र-छात्राएं भी आटोमेशन एण्ड रोबोटिक शिक्षा के क्षेत्र में स्मार्ट इंजीनियर बनने का अपना सपना साकार कर सकेंगे। दरअसल, विज्ञान और तकनीकी का विकास तथ्यों के विश्लेषण और उचित समझ पर ही निर्भर करता है।

किसी भी देश की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने और लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए नवीनतम ज्ञान, प्रौद्योगिकी, विज्ञान और अभियंता (इंजीनियरिंग) आवश्यक मौलिक वस्तुएं हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं को विज्ञान और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में दक्ष करने औऱ उन्हें बदलते परिवेश में ढालने के लिए ही आटोमेशन एण्ड रोबोटिक शिक्षा का श्रीगणेश किया गया है। सेण्टर आफ एक्सीलेंस का लाभ संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के साथ ही जनपद मथुरा और उसके आसपास के अन्य जिले के युवाओं को भी मिलेगा। इस सेण्टर में युवा प्रशिक्षण हासिल कर स्वरोजगार स्थापित कर सकेंगे। भारत में अपने आकार, प्रौद्यौगिकी के स्तर, उत्पादों की विभिन्नता और सेवा के लिहाज से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) विविधताओं से भरा हुआ क्षेत्र है। यह जमीनी ग्रामोद्योग से शुरू होकर ऑटो कल-पुर्जे के उत्पाद, माइक्रो प्रोसेसर, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और विद्युत चिकित्सा उपकरणों तक फैला हुआ है। एमएसएमई क्षेत्र ने 10 करोड़ से अधिक लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराए हैं जिसमें 3.7 करोड़ उद्यम छह हजार से ज्यादा वस्तुओं का उत्पादन करते हैं।

शिक्षा के क्षेत्र में वैज्ञानिक शोध, विचारों और तकनीकों का परिचय नई पीढ़ी में बड़े स्तर पर सकारात्मक परिवर्तन लाता है। खुशी की बात है कि भारतीय वैज्ञानिकों ने निरंतर और कठिन प्रयासों से उच्चतम अंतर्राष्ट्रीय कैलिबर की वैज्ञानिक प्रगति को सम्भव बनाया है। आटोमेशन एण्ड रोबोटिक शिक्षा भारतीय वैज्ञानिकों की युवा पीढ़ी को नई सौगात है। किसी भी क्षेत्र में तकनीकी विकास से ही अर्थव्यवस्था मजबूत होती है। देश में विज्ञान और प्रौद्योगिकी की शक्ति में सुधार के लिए भारत सरकार ने 1940 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान बोर्ड का निर्माण किया था तो 1942 में वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद का गठन हुआ। आजादी के बाद देश के राष्ट्रीय विकास के लिए विज्ञान का प्रसार और विस्तार हुआ। सरकार द्वारा बनाई गई विभिन्न नीतियों ने पूरे देश में आत्मनिर्भरता और टिकाऊ विकास और वृद्धि पर जोर दिया है। विज्ञान और प्रौद्योगिकी दोनों ने ही देश में असाधारण ढंग से आर्थिक विकास और सामाजिक विकास पर असर डाला है। भारत उन चंद देशों में से एक है जो एमएसएमई क्षेत्र के लिए एमएसएमईडी अधिनियम-2006 के रूप में एक कानूनी ढांचा मुहैया कराता है। एमएसएमई की क्षमताओं को बढ़ाने के लिए सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय ने वित्त, बुनियादी ढांचे, प्रौद्योगिकी, विपणन और कौशल विकास के क्षेत्र में कई कार्यक्रम और योजनाएं लागू की हैं ताकि इस क्षेत्र से जुड़ी समस्याओं का समाधान किया जा सके।

एमएसएमई मंत्रालय ने सूक्ष्म और लघु उद्यमों के समग्र विकास के लिए एक सामूहिक दृष्टिकोण अपनाया है। इसमें डायग्नोस्टिक अध्ययन, क्षमता सृजन, विपणन विकास, निर्यात संवर्धन, कौशल विकास, प्रौद्योगिकी उन्नयन, कार्यशालाओं, सेमिनारों का आयोजन, प्रशिक्षण, यात्रा अध्ययन आदि जैसे छोटे तरीके और सामान्य सुविधा केन्द्रों की स्थापना, बुनियादी सुविधाओं का उन्नयन, मौजूदा औद्योगिक क्षेत्रों में उन्नत बुनियादी सुविधाओं का विकास, सामूहिक ढांचागत सुविधाओं का उन्नयन जैसे बड़े कदम शामिल हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय में सेण्टर आफ एक्सीलेंस खोलने का मुख्य उद्देश्य अधिक से अधिक युवाओं को कौशल विकास तथा डायग्नोस्टिक अध्ययन मुहैया कराना है। गौरतलब है कि आगरा मण्डल में यह पहला सेण्टर है। रोबोटिक एण्ड आटोमेशन की ट्रेनिंग हासिल करने के बाद जनपद मथुरा के युवा भारत ही नहीं दुनिया के किसी भी देश नौकरी हासिल कर सकेंगे।   

कौशल विकास पर विशेष ध्यान

संस्कृति विश्वविद्यालय की जहां तक बात है यहां छात्र-छात्राओं को गुणवत्तापरक शिक्षा देने के साथ ही उनके कौशल विकास पर विशेष ध्यान दिया जाता है। छात्र-छात्राओं को तकनीकी रूप से दक्ष करने के लिए उन्हें लगभग हर महीने औद्योगिक भ्रमण पर भेजा जाता है।  प्रशिक्षण कार्यक्रमों के तहत छात्रों को परंपरागत ग्रामीण उद्योगों, उनकी गतिविधियों से संबंधित जमीनी स्तर के कार्यक्रमों, सीएनसी मशीनों और अन्य उच्च प्रौद्योगिकियों से रू-ब-रू कराया जाता है। संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के तकनीकी कौशल का ही कमाल है कि यहां के हर छात्र के एक हाथ में डिग्री तो दूसरे हाथ में जाब लेटर होता है।

मल्टीनेशनल कम्पनियों की नजर

उच्च शिक्षा के क्षेत्र में ब्रज मण्डल में अपनी एक अलग पहचान बना चुके संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं की प्रतिभा पर राष्ट्रीय ही नहीं मल्टीनेशनल कम्पनियों की भी नजर रहती है। 2017 में संस्कृति विश्वविद्यालय में लगभग एक दर्जन राष्ट्रीय और आधा दर्जन अंतरराष्ट्रीय कम्पनियों के विशेषज्ञ आए और छात्र-छात्राओं की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें कम्पनियों में सेवा के अवसर प्रदान किए। इसकी वजह विश्वविद्यालय द्वारा छात्र-छात्राओं को मल्टीनेशनल कम्पनियों की आवश्यकता अनुसार शिक्षा मुहैया कराना है। अब तक मारुति सेण्टर आफ एक्सीलेंस मानेसर, जापानी कम्पनी ओ.टी.सी. डाइहेन प्रा.लि. गुड़गांव, इटैलियन कम्पनी मैगनेटी मरेली, जर्मन कम्पनी बास लिमिटेड, विक्टोरा टूल्स प्रा.लि. फरीदाबाद, न्यू एलेनबरी फरीदाबाद, बेस्ट लाइन शिपिंग कम्पनी अहमदाबाद, पाई इंफोकाम लखनऊ आदि के तकनीकी विशेषज्ञ संस्कृति विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राओं के कौशल को सराह चुके हैं।  कई मल्टीनेशनल कम्पनियां विश्वविद्यालय में प्लेसमेंट मेला लगाने की हमेशा इच्छुक रहती हैं। संस्कृति विश्वविद्यालय का मुख्य उद्देश्य छात्र-छात्राओं को कम्पनियों की आवश्यकता अनुसार शिक्षा मुहैया कराना है।

Sanskriti Univesity