Sanskriti University

शिक्षक बन समाज में जलाएं ज्ञान की लौ। सम्मान के साथ शानदार करियर भी।

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शिक्षक समाज में हमेशा सम्माननीय रहा है। एक शिक्षक ही छात्र के जीवन में ज्ञान की लौ जलाता है। इसलिए समाज में शिक्षक की उपयोगिता को कतई नकारा नहीं जा सकता। भारत में अध्यापन कार्य बेहद गरिमामय प्रोफेशन है और शिक्षकों का स्‍थान हमेशा ही ऊंचा रहा है। भारत युवाओं का देश है, बेरोजगारी हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या है। हमारी युवा पीढ़ी शिक्षा के क्षेत्र में अपना करियर संवार सकती है। इसके लिए हर राज्य में शिक्षक प्रशिक्षण कोर्स संचालित हैं। संस्कृति यूनिवर्सिटी में भी युवाओं की सुविधा के लिए डीएलएड (बीटीसी), बीएड, बीएड स्पेशल, बीएलएड और डीएड स्पेशल के कोर्स कराए जाते हैं। जो छात्र-छात्राएं 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 या बीए, बीएससी, बीकाम परीक्षा उत्तीर्ण कर चुके हैं वे इन कोर्सों को पूरा कर शिक्षक बनने का अपना सपना साकार कर सकते हैं।

बीएड (बैचलर ऑफ एजुकेशन)

अध्यापन के क्षेत्र में आने के लिए युवाओं के बीच यह कोर्स काफी लोकप्रिय है। पहले यह कोर्स एक साल का था, जिसे 2015 से बढ़ाकर दो साल का कर दिया गया है। इस कोर्स को करने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होता है। परीक्षा देने के लिए ग्रेजुएट होना जरूरी है। इस कोर्स को करने के बाद युवा प्राइमरी, अपर प्राइमरी और हाईस्कूल स्तर तक पढ़ाने के लिए पात्र हो जाते हैं

डीएलएड (बीटीसी)

जो युवा प्राथमिक शिक्षा के क्षेत्र में अध्यापन करना चाहते हैं उनके लिए डीएलएड (बीटीसी) सबसे बेहतरीन कोर्सों में से एक है। यह दो साल का कोर्स है। इस कोर्स को करने के लिए छात्र-छात्राओं की प्रवेश प्रक्रिया मेरिट लिस्ट के आधार पर और कट ऑफ मार्क्स पर होती है यानी कि 10वीं, 12वीं और स्नातक के प्रतिशत को आधार मानकर ही डीएलएड करने के लिए कॉलेज मिलता है। इसके लिए छात्र-छात्राओं को काउंसलिंग प्रक्रिया से भी गुजरना होता है। इस कोर्स को करने के बाद युवा प्राइमरी और अपर प्राइमरी लेवल के टीचर बनने के योग्‍य हो जाते हैं।

बीएलएड (बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजूकेशन)

बीएलएड (बैचलर ऑफ एलीमेंट्री एजूकेशन) चार साल का कोर्स है। इसमें प्रवेश के लिए छात्र-छात्राओं का 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। इस कोर्स का उद्देश्य प्राथमिक स्तर पर बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षकों को तैयार करना है। छात्र-छात्राएं संस्कृति यूनिवर्सिटी से भी इस कोर्स को कर सकते हैं।

डीएड (डिप्लोमा इन एजुकेशन)

यह दो वर्षीय कोर्स प्राइमरी शिक्षक बनने के लिए कराया जाता है। इस कोर्स को करने के लिए छात्र-छात्राओं का 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। छात्र-छात्राएं संस्कृति यूनिवर्सिटी से भी इस कोर्स को कर सकते हैं।

डीएड स्पेशल और बीएड स्पेशल

विशेष आवश्यकता वाले मंदबुद्धि या फिर मामूली रूप से विकलांग, दृष्टिहीन आदि समस्याओं से पीड़ित बच्चे सामान्य बच्चों के साथ नहीं पढ़ पाते। साथ ही ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग से प्रशिक्षित टीचर शिक्षा विभाग में नहीं हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने सरकारी स्कूलों में ऐसे बच्चों को पढ़ाने के लिए स्पेशल एजूकेशन टीचर रखने के निर्देश दिए हैं। मंत्रालय के निर्देश पर केन्द्र के स्कूलों में तो स्पेशल एजूकेशन टीचर्स की तैनाती हो चुकी है मगर विभिन्न राज्यों के सरकारी स्कूलों में डीएड स्पेशल और बीएड स्पेशल शिक्षकों का बेहद अभाव है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय की मंशा है कि सिर्फ शासकीय ही नहीं अशासकीय क्षेत्र के स्कूलों में भी डीएड स्पेशल और बीएड स्पेशल शिक्षक होने चाहिए। मंत्रालय के निर्देश के बाद प्रत्येक सरकारी स्कूल में एक-एक स्पेशल एजूकेशन टीचर रखे जाने की उम्मीद बढ़ गई है। जो युवा डीएड स्पेशल और बीएड स्पेशल कोर्स कर लेंगे उन्हें रोजगार भी आसानी से मिल सकेगा। डीएड स्पेशल कोर्स करने के लिए जहां छात्र-छात्राओं का 50 प्रतिशत अंकों के साथ 10+2 परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है वहीं बीएड स्पेशल कोर्स के लिए स्नातक परीक्षा उत्तीर्ण होना जरूरी है। संस्कृति यूनिवर्सिटी से भी डीएड स्पेशल और बीएड स्पेशल कोर्स किए जा सकते हैं।

शिक्षण क्षेत्र में करियर

आर्थिक उदारीकरण के बाद से शासकीय तथा निजी स्कूलों और कॉलेजों में शिक्षकों की मांग लगातार बढ़ रही है। देश के दूर-दराज इलाकों में भी अब स्कूल, कॉलेज और यूनिवर्सिटीज खुल रही हैं तथा इसमें बड़े स्तर पर पूंजी निवेश किया जा रहा है। इन स्‍कूलों और कॉलेजों में पढ़ाने के लिए योग्‍य, प्रशिक्षित और पेशेवर शिक्षकों की मांग भी बढ़ती जा रही है। शिक्षक बनने के इच्‍छुक छात्र-छात्राओं के लिए इंटरमीडिएट, ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन स्‍तर पर कई कोर्स मौजूद हैं इनमें से कोई एक कोर्स कर शिक्षक बना जा सकता है। इस क्षेत्र में शासकीय और अशासकीय दोनों ही सेक्‍टर्स में जॉब असीमित ऑप्‍शंस हैं। सरकारी संस्‍थानों के अलावा युवा निजी स्कूलों से लेकर कोचिंग संस्थानों में भी जॉब कर सकते हैं। यही नहीं वह खुद का भी कोचिंग इंस्‍टीट्यूट खोल सकते हैं।

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