Sanskriti University

Santhigiri Ashram and Sanskriti University will keep the Local Citizenry healthy

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Santhigiri Ashram and Sanskriti University will keep the Local Citizenry healthy
Innovative initiative of Sanskriti University in the field of Ayurvedic medical education

In pursuing the path of facilitating the Ancient Indian Medical System to the masses as well as the culture, spirituality and world-brotherhood in the whole world, the Santhigiri Ashram is very well known. Last year, the MoU signed between Sanskriti University and Santhigiri Ashram opened the path to work collaboratively in the field of Ayurvedic medicine. Not only have students benefitted from this association, the local citizens are also benefiting.

On July 16, 2018, the Chancellor of the Sanskriti University, Shri Sachin Gupta and Swami Gururathnam of the Santhigiri Ashram joined hands to work in the field of Ayurvedic medicine and Siddha system.

As far as the Santhigiri Ashram is concerned, it is known throughout the world for its exceptional service and know-how. Ayurvedic medicines manufactured by them are known for its quality in the world. Swami Gurraththanm Jnan Tapasi of Santhigiri Ashram appreciated the initiatives of Sanskriti University in the area of ​​Ayurvedic medicine, saying that Ayurvedic medicine has special significance in Mathura due to its traditional roots. Santhigiri Ashram has been providing health benefits to people through yoga, meditation, spirituality and Ayurvedic medicine for more than 45 years.

Swami Jnan Tapasya said that Ayurvedic medicine completely ends the disease and there are no side effects of these medicines. Once can say that there is nothing better than Ayurvedic medicine for health. Most Ayurvedic herbs can also be used safely in case of common diseases. Using Ayurveda we can end old chronic disease from the root.

Santhigiri Ashram is not only spreading awareness about the Ayurvedic medicine system but also, with the Sanskriti University, it is supporting the medical students by imparting learning and expertise through its experienced doctors as well as motivating them towards entrepreneurship.

Honb’le Chancellor, Shri Sachin Gupta, described the agreement between Santhigiri Ashram and Sanskriti University as a milestone in the field of Ayurvedic medicine

About Santhigiri Ashram

Santhigiri Ashram is a charitable and spiritual organization, which was established in 1973 by Guru Navjyotishri Karunakara. Santhigiri Ashram has been providing food and health care to the disadvantaged and needy people in the society for more than 45 years. They are also creating awareness of spirituality in them. Santhigiri is also working for eradication of malnutrition, providing healthcare, Ayurvedic education, spiritual awareness. Ayurveda is the oldest life science in the world, born in India, about 5000 years ago and is prevalent throughout the world to achieve full health benefits in four areas of human life – religion, wealth, work and salvation. Due to Kerala being climate friendly, it is a source of a wide variety of medicinal value plants and herbs. The reason behind this is abundant sunlight, fertile soil and rain. As a result, there is a rich history of natural medicine in Kerala.

शांतिगिरि आश्रम और संस्कृति विश्वविद्यालय ब्रजवासियों को रखेंगे निरोगी

     आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में संस्कृति यूनिवर्सिटी की अभिनव पहल

मथुरा। भारतीय चिकित्सा पद्धति को जन-जन तक पहुंचाने की दिशा में अग्रसर संस्कृति यूनिवर्सिटी और वैश्विक शांति, आध्यात्मिकता तथा विश्व बंधुत्व की दिशा में पूरी दुनिया के सामने नजीर बने शांतिगिरि आश्रम ब्रजवासियों को निरोगी रखने को प्राणपण से जुटे हुए हैं। बीते साल संस्कृति यूनिवर्सिटी और शांतिगिरि आश्रम के बीच आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में सहयोगात्मक रूप से काम करने का अनुबंध हुआ था। इस अनुबंध से छात्र-छात्राएं ही नहीं ब्रजवासी भी लाभान्वित हो रहे हैं।

16 जुलाई, 2018 को संस्कृति यूनिवर्सिटी के कुलाधिपति सचिन गुप्ता, शांतिगिरि आश्रम के स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी, स्वामी पद्म प्रकाश, पी.के.डी. नाम्बियार तथा ओ.एस.डी. मीनाक्षी शर्मा की मौजूदगी में न केवल अनुबंध पर हस्ताक्षर हुए थे बल्कि सभी ने एक स्वर से ब्रजवासियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा तथा सिद्धा प्रणाली के जरिये निरोग रखने का संकल्प लिया था। संस्कृति यूनिवर्सिटी और शांतिगिरि आश्रम के बीच हुए अनुबंध से ब्रज क्षेत्र में आयुर्वेदिक चिकित्सा को नया आयाम मिला है।

शांतिगिरि आश्रम की जहां तक बात है, यह अपनी सेवाभावना के लिए दुनिया भर में जाना जाता है। यहां निर्मित आयुर्वेदिक दवाएं देश-दुनिया में अपनी गुणवत्ता के लिए जानी जाती हैं। शांतिगिरि आश्रम के स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी ने आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में संस्कृति यूनिवर्सिटी के प्रयासों की मुक्तकंठ से सराहना करते हुए कहा कि मथुरा धार्मिक नगरी होने के चलते यहां आयुर्वेदिक चिकित्सा का विशेष महत्व है। शांतिगिरि आश्रम लगभग 45 साल से देश-विदेश में लोगों को योग, ध्यान, आध्यात्म और आयुर्वेदिक चिकित्सा के माध्यम से स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता आ रहा है।

स्वामी ज्ञान तपस्वी ने कहा कि आयुर्वेद चिकित्सा से बीमारी पूर्ण रूप से समाप्त हो जाती है और इन दवाओं का कोई साइड इफेक्ट भी नहीं होता। हम कह सकते हैं कि स्‍वास्थ्य के लिए आयुर्वेद चिकित्सा से बेहतर कुछ भी नहीं है। आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति में हर बीमारी का इलाज है। कुछ बीमारियां ऐसी हैं जिनका आयुर्वेद में ही स्थायी इलाज सम्भव है। अधिकांश आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां और हर्बल शिशुओं की आम बीमारियों के मामलों में भी सुरक्षित तरीके से इस्तेमाल किये जा सकते हैं। स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी ने कहा कि आयुर्वेद से हम पुरानी से पुरानी बीमारी को जड़ से समाप्त कर सकते हैं। आयुर्वेद का उपचार हर रोग में कारगर है। स्वामी गुरुरेथनम ज्ञान तपस्वी का कहना है कि हम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर सेवाभावना की एक मिसाल कायम करना चाहते हैं। गौरतलब है, शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी के साथ न केवल आयुर्वेदिक चिकित्सा पद्धति के प्रचार-प्रसार में सहयोग कर रहा है बल्कि इससे छात्र-छात्राओं के अभिज्ञान में भी इजाफा हो रहा है। शांतिगिरि आश्रम संस्कृति यूनिवर्सिटी को अपने अनुभवी चिकित्सकों की सेवाएं देने के साथ ही आयुर्वेदिक औषधियां भी मुहैया कराएगा तथा छात्र-छात्राओं को प्रशिक्षण देने के साथ ही उद्यमिता की तरफ प्रेरित करेगा।

कुलाधिपति सचिन गुप्ता ने शांतिगिरि आश्रम और संस्कृति यूनिवर्सिटी के बीच हुए अनुबंध को आयुर्वेदिक चिकित्सा के क्षेत्र में मील का पत्थर निरूपित करते हुए कहा कि इससे न केवल ब्रजवासियों को स्वस्थ रहने में मदद मिलेगी बल्कि छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के साथ ही चिकित्सा विशेषज्ञों के सान्निध्य का लाभ भी मिलेगा। श्री गुप्ता का कहना है कि आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा में पढ़ाई की कम और आंतरिक महारत की ज्यादा जरूरत होती है। कोई भी छात्र साधना के बिना सिद्ध वैद्य नहीं बन सकता। हमारा प्रयास है कि संस्कृति यूनिवर्सिटी में आयुर्वेदिक चिकित्सा शिक्षा के क्षेत्र में जो भी छात्र-छात्राएं तालीम के लिए आएं वे अपनी अंतर दृढ़ता और सेवाभावना से ब्रज ही नहीं पूरे देश में सिद्ध वैद्य के रूप में पहचान बनाएं।

शांतिगिरि आश्रम के कार्य

शांतिगिरि आश्रम एक धर्मार्थ और आध्यात्मिक संगठन है, जिसे 1973 में गुरु नवज्योतिश्री करुणाकर द्वारा स्थापित किया गया था। शांतिगिरि आश्रम लगभग 45 साल से समाज में वंचित और जरूरतमंद लोगों को खाद्य तथा स्वास्थ्य संरक्षण प्रदान करने के साथ ही उनमें आध्यात्मिकता का बोध पैदा कर रहा है। शांतिगिरि आश्रमसमाज से कुपोषण का उन्मूलन, स्वास्थ्य देखभाल, आयुर्वेदिक शिक्षा, आध्यात्मिक जागरूकता, भवन निर्माण संबंधी कौशल और रोज़गारपरक कार्यों के प्रति निरंतर सक्रिय भूमिका का निर्वहन भी कर रहा है। आयुर्वेद लगभग 5000 साल पहले भारत में उत्पन्न हुआ सबसे प्राचीन जीवन विज्ञान है और मानव जीवन, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष के चार क्षेत्रों में पूर्ण स्वास्थ्य लाभ प्राप्त करने के लिए दुनिया भर में प्रचलित है। केरल अनुकूल जलवायु के कारण औषधीय महत्व वाले पौधों और जड़ी-बूटियों की एक विस्तृत विविधता का स्रोत है। इसके पीछे कारण प्रचुर धूप, उपजाऊ मिट्टी और वर्षा है। नतीजतन, केरल में प्राकृतिक चिकित्सा का एक समृद्ध इतिहास है जो कभी डॉक्टरों और वैद्यों द्वारा प्रचलित था। दरअसल, दुर्लभ जड़ी-बूटियों और औषधीय पौधों की तलाश में मूल रूप से सिंध के एक आयुर्वेदिक चिकित्सक बाणभट्ट केरल गए थे। केरल में लोगों ने उनके काम को अपनाया और उन्हें अष्टदेवियों के रूप में जाना जाने लगा क्योंकि वे अष्टविद्याओं का अभ्यास करते थे।

शांतिगिरि आश्रम अपनी स्थापना के बाद से ही स्वास्थ्य सुविधाओं को बढ़ाने के लिए आयुर्वेद और सिद्धा चिकित्सा पद्धति के माध्यम से वंचितों के लिए काम कर रहा है। आयुर्वेदिक चिकित्सा प्रणाली जोकि पुरानी बीमारियों के इलाज के लिए बहुत प्रभावी है,  देश के दक्षिणी हिस्से में प्रमुख रूप से प्रचलित है। शांतिगिरि आश्रमसंस्कृत विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संगठनों के सहयोग से देश के उत्तरी भाग के ग्रामीण क्षेत्रों में आयुर्वेद और सिद्धा के लाभों का विस्तार करने को प्रतिबद्ध है।

शांतिगिरि आश्रम की भविष्य की योजनाएं

शांतिगिरि आश्रम उत्तर भारत के अधिक से अधिक ग्रामीण क्षेत्रों में जहाँ लोग बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं, वहां अपनी स्वास्थ्य सेवा की पहल को आगे बढ़ाने की योजना बना रहा है। शांतिगिरि आश्रम गांवों को गोद लेने तथा चिकित्सा की आयुष प्रणाली के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार के साथ सहयोग करने की योजना को भी मूर्तरूप दे रहा है।